सती स्थल का इतिहास

द्वापर युग का समय था। यह भूमि, जिसे आज मुरथल के नाम से जाना जाता है, उस समय मुनि स्थल के रूप में विख्यात थी। इस क्षेत्र में गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों को युद्ध कला की शिक्षा दी थी। यहां की पवित्रता और ऐतिहासिक महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वयं श्रीकृष्ण भी द्वापर युग में यहां ऋषि-मुनियों से मिलने आए थे। जब शांति समझौते के लिए श्रीकृष्ण ने धृतराष्ट्र से पांच गांव मांगे, उनमें से एक गांव मुनि स्थल भी था।

मुनि स्थल की भूमि पर ही देवी सती ने अपने सतीत्व को प्राप्त किया था। यह घटना इतनी महत्वपूर्ण थी कि तब से इस स्थल को सती स्थल के नाम से जाना जाने लगा। देवी सती के इस दिव्य त्याग और शक्ति की गाथा सुनकर आसपास के लगभग सौ गांवों के लोग इस स्थान पर आकर उनकी पूजा करने लगे

मुनि स्थल के इस पावन स्थान पर जो भी श्रद्धालु आते, वे सती देवी की कृपा पाने के लिए उनकी उपासना करते है । तभी से यह स्थान धार्मिक आस्था का एक प्रमुख केंद्र बन गया। हर वर्ष,माघ महीने में यहां विशाल मेला लगता, जहां दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामनाओं को लेकर आते और देवी सती की पूजा-अर्चना करते।

आज के समय में, मुरथल, दिल्ली-एनसीआर से केवल 40 किलोमीटर दूर स्थित है। यह गांव अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण पिछले 800 वर्षो से न केवल स्थानीय लोगों के लिए,बल्कि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था का केंद्र है। मुनि स्थल की पावनता और देवी सती की महिमा का गुणगान करते हुए, यह भूमि आज भी अपने गौरवशाली अतीत की गवाही देती है।

सती अस्थल की मान्यता

मुरथल के सती स्थल को अति प्राचीन और पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है। यह स्थान देवी सती के तप और त्याग का प्रतीक है। मान्यता है कि द्वापर युग में देवी सती ने यहां पर अपने सतीत्व को प्राप्त किया था। उनकी इस महिमा के कारण यह भूमि दिव्यता और पवित्रता का केंद्र बन गई।स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का मानना है कि सती स्थल पर सच्चे मन से की गई पूजा-अर्चना से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी समस्याओं का समाधान पाने और सुख-समृद्धि की कामना से देवी सती की उपासना करते हैं।यह भी माना जाता है कि सती स्थल की धूल तक चमत्कारी है और इसके स्पर्श से रोगों का नाश होता है। विशेष रूप से माघ महीने में यहां आने वाले भक्तों की भारी भीड़ रहती है, जब सती मेला आयोजित होता है। इस मेले में दूर-दूर से लोग आकर देवी सती की पूजा करते हैं और अपने जीवन को धन्य मानते हैं।सती स्थल की इस महिमा को लेकर जनमानस में गहरी आस्था है। यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी इसे विशिष्ट स्थान प्राप्त है।

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